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Author: Animesh Nagar

पुस्तक के विषय में - 

प्राचीन काल से भारत भूमि पर शक्ति उपासना का प्रचलन रहा है। प्रबल कलिकाल में महाशक्ति के काली स्वरूप की उपसना प्रशस्त है। भगवती काली के नाना वपुषों में ’गुह्यकाली’ का प्राधान्य है। माता गुह्यकाली पौलस्त्य रावण, भगवान् रामचन्द्र, भरत जी आदि की ईष्टदेवी हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ अथर्वणवेद से सम्बद्ध हाहारावतन्त्र के आधार पर गुह्यकाली उपासना का सांगोपांग विवेचन करता है। ग्रन्थ में हाहारावतन्त्र के अनुसार मण्डपप्रवेश, न्यास, भूतशुद्धि, त्रिपात्र स्थापन, सप्ताविंशती पीठपूजा, षोडशावरणपूजा, बलिदान, मन्त्रजप, होमपद्धति तथा उद्वासन पर्यन्त गुह्यकालीपूजा का सविस्तार वर्णन किया गया है। पाठकों की सुविधा के लिए मन्त्रभाग ’संस्कृत’ में तथा व्याख्या-निर्देश ’हिन्दी’ में दिये गये है। सुकुमार साधकों के हितार्थ लघुपूजाविधि का संकलन किया गया है। विविध मातृकाओं के आधार पर ग्रन्थ में अप्रकाशित कई दुर्लभ स्तोत्रों का संकलन किया गया है। 

Shri Guhyakali Puja Paddhati (Haharavatantra) श्रीगुह्यकालीपूजापद्धतिः

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  • Animesh Nagar

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